सद्प्रेरणाओं से भरें अपना जीवन संसार | Sudhanshu Ji Maharaj

सद्प्रेरणाओं से भरें अपना जीवन संसार | Sudhanshu Ji Maharaj

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सद्प्रेरणाओं से भरें अपना जीवन संसार

प्रत्येक व्यक्ति का प्रयास होता है कि व  ह अपने जीवन में आगे बढ़े, लेकिन बढ़ नहीं पाता, कहीं न कहीं रुकावटें सामने आती हैं। क्योंकि हर पल, हर क्षण मनुष्य के धैय और साहस की परीक्षा भी होती ही रहती है। धैर्य और साहस आगे बढ़ने की मूल शक्ति है, लेकिन इसके लिए दिशा व प्रेरणा सही होनी चाहिए। सही दिशा मिल जाए तो चमत्कार घटते हैं। गलत दिशा में उठा कदम मंजिल से दूर ले जाता है। अतः जीवन में सही दिशा का चुनाव बहुत जरूरी है।

पहला कदम गलत दिशा की ओर बढ़ जाए तो व्यक्ति जिन्दगी भर मंजिल के लिए भटकता रहता है, सही दिशा में उठा एक भी कदम मंजिल के गरीब ले जाता है। सूत्र भी है ‘‘दिशा ठीक हो तो दशा ठीक होगी।’’ हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब उसे शाबासी की जरूरत होती है और शाबासी के दो शब्द हिम्मत बढ़ाते हैं। यही प्रेरणा है। प्रेरणा के बल पर व्यक्ति अपने को अंदर से संवारने लगता है, अंदर की सोई शक्तियां जागृत होने लगती हैं और व्यक्ति कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होता है। बहुत बार परिस्थितियां व्यक्ति को निराश कर देती हैं। पर वे लोग भी हैं जो किसी तरह की विपरीत परिस्थिति का सामना करने में भी घबराते नहीं।

कोलम्बस के सामने भी कठिनाइयां थी, मगर वह आंतरिक प्रेरणा से आगे बढ़े और सफलता हासिल की। वास्तव में प्रेरणा जीवनी शक्ति है। जो व्यक्ति को नये शक्ति से भरती है। जो महान कार्य करवा सकती है। न्यूटन वृक्ष के नीचे गिरते फल को देखकर प्रेरित हुआ, जेम्स वाट को भाप को देखकर प्रेरणा मिली। परमात्मा की बनाई सृष्टि में हर जगह, हर पल दिखने वाली नवीनता जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रही। जब तक प्रेरणा के शब्द अंदर हैं, विकास होता रहेगा। कभी-कभी ठोकर भी व्यक्ति को सीख देती है। वह ठोकर, ठोकर नहीं, बल्कि जगाने की प्रेरणा ही है।

मानव जीवन में सद्गुरु भी प्रेरणा स्त्रोत्र होते हैं। सद्गुरु प्रेरक बनकर व्यक्ति के अंदर की सोई शक्तियों को जगाते हैं। भगवान ने जीवन तो दिया, परजीवन जीने की कला सीखनी पड़ती है और यह कला सिखाने वाली सत्ता है सद्गुरु। अवतारी पुरुष भी धरती पर आए, उन्हें भी सीखने के लिए गुरु की जरूरत पड़ी। जैसे रेडियो की तरंगे चारों ओर फैली रहती हैं, ऐसे ही सद्गुरु के प्रति श्रद्धा वाला इंसान दुनिया के किसी भी कोने में बैठा प्रेरित होता रहता हैं। वह गुरु द्वारा फैंकी तरंगे पकड़ता और प्रेरित होता है। उपदेश भी प्रेरणा की विधा ही है। सही मार्गदर्शन सही विधि और सही समय में बोया गया प्रेरणा का बीज जीवन अस्तित्व को हजारों गुना बढ़ा देता है, प्रेरणा के बिना व्यक्ति ऊंचा नहीं उठा सकता। कहीं से भी अच्छी
प्रेरणा मिलती रहे तो एक साधारण सा व्यक्ति भी जीवन में बहुत महान कार्य कर सकता है। आप भी अपने महापुरुषों से, संतों-ऋषियों के जीव प्रसंगों से, पर्व-त्योहार-सत्संग, ईश्वर के आदर्शों, आस-पास के वातावरण, कथा-कहानियों, सद्विचारों आदि से प्रेरणायें लेकर जीवन के सौभाग्य जगायें।

1 Comment

  1. BALADEB PRASAD UPADHYAYA says:

    Ji, pranam me apaka charan me Saran lena chahata hun.Pranam.

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