स्वाभिमानी बनिये | अभिमानी नहीं | यही ज़िन्दगी की पराकाष्ठा है! | Atmachintan

स्वाभिमानी बनिये | अभिमानी नहीं | यही ज़िन्दगी की पराकाष्ठा है! | Atmachintan

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स्वाभिमानी बनिये , अभिमानी नहीं, यही ज़िन्दगी की पराकाष्ठा है!

•  स्वाभिमान आपको गिरने नही देगा और अभिमान आपको उठने नही देगा !
• महत्वपूर्ण वाक्य है यह जीवन जीने के लिए – क्योकि हमे स्वाभिमानी बनना है : अभिमानी नही!
• स्वाभिमान का अर्थ है कि अपने जीवन का मूल्य समझें , मैँ भी कुछ हूँ – हर समय अपने आपको कोसते रहने से जीवन ऊंचा नही उठ पायेगा आप और गड्ढे में गिरते जाओगे । अपना मूल्यांकन स्वयम कीजिये – अपनी पीठ खुद थपथपाइए !
• दूसरा कोई आपको आपकी विशेषता बताये उसका इंतजार नहीं करना : एकांत में बैठकर अपने लिए समय निकालिये जिससे आप अपना आत्म विश्लेषण कर सकें । अपनी अच्छाइयों को भी याद करना है और अपनी कमियों पर भी दृष्टि डालकर उन्हें सुधार करना है !
• याद रखिये कि भगवान ने मनुष्य को सीधी रीढ़ दी है – जिसका अर्थ है सर उठाकर जीवन जिओ । पशु की रीढ़ टेढ़ी बनाई कि अपना सर नीचे झुकाकर भोजन करो । इसलिए अपने मनुष्य जीवन को गर्व से जीते हुए इसी में अपना उद्धार करना है!
• परंतु अभिमान को आने नहीं देना : पतन का सबसे बड़ा कारण बनता है अभिमान क्योकि ऐसा व्यक्ति दूसरों को कीड़ा मकोड़ा मानता है : यह सब मेरे सामने कुछ भी नहीं : यह अभिमान का प्रमुख लक्षण है और पतन का कारण भी !
• रावण का उदाहरण हमारे समक्ष है इतना बुद्धिमान , रूपवान भक्त व्यक्ति होते हुए भी अभिमान के कारण गिरता गया और अपने ओर अपने कुल के विनाश का कारण बना : यदि वह अपने अभिमान को त्यागकर अपने भाई विभीषण की बात मान लेता ओर सीता माता को सकुशल लौटा देता – तो एक भयंकर विनाश से बच सकता था : यह उदाहरण हमे शिक्षा देता है !
• अपना सम्मान करवाना जानिए और दूसरों को भी सम्मान दें : आपका अपना एक सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व होना चाहिए , सम्रद्ध, खुशहाल, आनंद से परिपूर्ण जीवन : जिसमे भक्ति की महक आती हो – प्रेमपूर्वक जीना आना चाहिए !

2 Comments

  1. Manmohan Sharma says:

    वास्तविकता है,जीवन की सच्चाई है!जय गुरुदेव!सादर हरि ॐ जी!8

  2. Manmohan Sharma says:

    *ॐ गुरुवे: नमः!*
    *️ॐ सद्गुरु चरणकमलोभयं नमः!️*
    *ॐ नमो नारायणाय:!ॐ बृं बृहस्पतये: नमः!ॐ तस्मे ज्येष्ठा नमः!*
    *आत्म प्रार्थना प्यारे प्रभु से!*
    *हे प्यारें प्रभु!हे नारायण!हे कृपालुदेव!हमारा ह्रदय सदा आपके श्री चरणों से जुडे रहें!*

    *हे जगत्राता!विश्वविधाता!सर्वशक्तिमान प्यारें प्रभु!हमारे जीवन के आधार!हे सुख स्वरूप सच्चिदानन्द,सर्वेश्वर परमेश्वर इस समस्त संसार में आपने अपनी कृपाओं को बिखेरा हुआ है!हमारा श्रद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो!हे लक्ष्मीनारायण!जब हम अपने अंतर्मन में शान्ति स्थापित करते हैं तब हमारे अन्त:स्थ में आपके आनन्द की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं और हमारा रोम-रोम आनन्द से पुलकित होने लगता है!जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण और प्रेमपूर्ण हो जाता है!हे प्यारे देव!हमारा ह्रदय आपसे सदा जुडा रहे,हम सब पर आपकी कृपा बरसती रहे,हमारा मन आपके श्री चरणों में सदा लगा रहे,यह आशीर्वाद हमें अवश्य दो ताकि हम हर दिन नया उजाला,नई उमंगें,नया उल्लास लेकर जीवन के पथ पर अग्रसर हो सकें!ऐसी हमारे ऊपर कृपा कीजिए!हे दयालुदेव!हे करुणासागर!आप हम सभी पर अनन्त-अनन्त कृपा करते हो!हमें भी ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हम प्रत्येक दिन को शुभ अवसर बना सकें!प्रत्येक दिन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें ऐसी शक्ति प्रदान कीजिए कि जिससे हम संघर्ष में विजयी हों!हमारे द्वारा संसार में कुछ भी बुरा न हो,प्रेमपूर्ण वातावरण में श्वास ले सकें तथा प्रेम को संपूर्ण संसार में बाँट सकें!हे प्यारें प्रभु!हमें यह शुभाशीष दीजिए!यही आपसे हमारी विनती है,यही प्रार्थना है!इसे आप जरूर स्वीकार कीजिए!*
    *हे दयालुदेव!आपके सभी बच्चों का हर दिन शुभ,मंगलमय,सुखमय,प्रेममय, भक्तिमय,गुरुमय,आनन्दमय व कल्याणकरी हो!सदा सबका भला हो!*
    *सादर हरि ॐ जी!जय गुरुदेव!जय श्रीराम!ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:!ॐ नमः शिवाय:!️*

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