जीवन जीने की कला | The art of living Life | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

जीवन जीने की कला | The art of living Life | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

The art of living Life

जीवन जीने की कला

जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया : जब शम्मा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया – जीवन का क्या महत्व है यह बहुत बाद में समझ आता है जब समय हाथ से निकल जाता है । प्रत्येक क्षण कितना कीमती है इसका महत्व हम नही जान पाते पर जब वह समय निकल जाए तो पश्चाताप के आंसू के सिवा कुछ नहीं बचता !

जीवन क्या है निर्झर है

मस्ती ही इसका पानी है – दो किनारो के बीच चल रहा राह मनमानी है जीवन यूँ ही उतार चढ़ाव और खुशी गमी के बीच से गुजरता जाता है , हम इतने व्यस्त रहते हैं कि समय का पता ही नही चलता , बस आपा धापी का संसार हर पल दौड़ाता रहता है पर जब आंख खुलती है तब बहुत देर हो चुकी होती है : जो बीत गया वह सपना से ही बनकर रह जाता है !
बेहतर यही है कि समय रहते सजग, सावधान हो जाये – अपने जीवन को कैसे जीना है यह भूमिका पहले ही निर्धारित कर लें – अपना कोई लक्ष्य लेकर जीवन मे चले तभी हम कुछ सफलता प्राप्त कर पाएंगे ! इस लिए यही पंकितयां गुरुवर की बार बार याद रखिये , अपने ह्रदय में स्थापित करते हुए…

जीवन की घड़ियां व्यर्थ ना खो ओ ॐ जपो हरि ॐ जपो-उस प्रभु में लीन हो जाओ यही कल्याण का मार्ग है | अन्यथा जीवन तो सभी पूरा कर लेते हैं अपने घर परिवार के इर्द गिर्द घूमते हुए , अपनी नित्य प्रति की आवश्यकता पूरी करते हुए और यूँ ही जीवन का समापन! जीवन तो वही है कि उसका भरपूर उपयोग किया जाए , जीवित रहते हुए भी ओर जीवन समाप्त होने के बाद भी आपकी कोई पहचान बन सके। आपके कर्मों में खुशबू आये और महकते हुए ही इस संसार से विदाई प्राप्त हो!
अन्यथा वही बात सच होगी कि ” कटी उम्र होटलों में और मरे अस्पतालों में” बस जीवन की कहानी खत्म! इसलिए समय रहते सावधान हो जाओ : अपने सदगुरु की शरण ग्रहण करके अपने जीवन का लक्ष्य ओर दिशा का निर्धारण करो : वह तुम्हे कल्याण के पथ पर ले जाएंगे ! उत्कृष्ट जीवन जीने के लिए ही आपका जन्म हुआ है और इसका निर्माण आपको स्वयं ही करना है। खुश रहना सीखो: हर हाल में मस्त रहो और हर दिन स्वयम को नया बनाने की कोशिश करो। सदगुरु शरणम गच्छामि – धर्मम शरणम गच्छामि !

1 Comment

  1. Avinash pd Singh. says:

    Very impressive lecture for new jenration.

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