सार्थक करें नवजीवन-2021

सार्थक करें नवजीवन-2021

Navjeevan 2021

जीवन का अर्थ है जागृति, नवीनता। जिनकी आंखों में नयापन, नव उमंग, उत्साह, उल्लास और खुशियाँ समाई होती हैं, मन में सेवा-सदाचार के भाव होते हैं। दूसरों की पीड़ा-दुःख-दर्द पीने की सोच होती है, वे सदैव नये बने रहते हैं। समाज में स्वागत भी सदैव ऐसी संवेदना भरी नवीनताओं का होता है।
सम्भावनाओं, नवरचनाओं का होता है। जिसमें नये विचार, नयी श्वांसे हों। उन्हें हर कोई निकट चाहता है, इसके विपरीत जो व्यक्ति उबासा होकर जगे और जिये। सारा दिन आलस्य-प्रमाद में व्यतीत करे, उसे कौन चाहेगा। भाग्यहीनता, निराशा, दुःख, हताशा ऐसे व्यक्तियों के जीवन में अपना डेरा जमाती है। फिर ऐसा व्यक्ति उजाले की तलाश भी नहीं कर पाता।

उच्छन्नुषसः सुदिना अरिप्रा उरु ज्योतिर्विविदुर्दिध्यानाः।
गव्यं चिदूर्वमुशिजो विवव्रुस्तेषा मनु प्रदिवः सस्त्रुरापः ।।
(ऋ -7-90-4)
अर्थात् जो मनुष्य उषा बेला में प्राणशक्ति से
ओतप्रोत होकर उत्साह से सम्पन्न होते हैं, उनके लिए दिन विशेषरूप से प्रकाशित होते हैं, उनके लिए किरणें प्रकाशित होती हैं, उनके लिए जल प्रवाह बहते हैं। जो मनुष्य सदा उत्साह से पूर्ण होता है, वही इस प्रकृति में सौन्दर्य के दर्शन करता है। उसे दिन के प्रकाश में परमात्मा का तेज और नदियों के जल-प्रवाह में परमात्मा की गति नृत्य करती दिखाई देती है।
यह नववर्ष 2021 पूरे 365 दिन की कठोर प्रतीक्षा के बाद आया है। चूंकि जीवन की वर्ष 2020 की कठोर पीड़ा सहते हुए मिला 2021, अतः हम इसे व्यर्थ न जाने दें। अपने हर प्रभात को संभालें, अपने हर पल को उमंगों, तरंगों से आनन्दित करें, जिससे सम्पूर्ण जीवन आनन्दित, सम्पूर्ण वर्ष आनन्दित होता रहे। ध्यान रहे प्रभात दिन का शिशु है, इसलिए आनंदित होने के लिए इसे सम्हालना होगा। क्योंकि जिसका बचपन ही आलस्य-प्रमाद से भरा हो, वह अपनी जवानी आते-आते रोगी हो ही जाएगा।

2020 की लाख कठोताओं के बावजूद तपोभूमि आनन्दधाम अपने करोड़ों देश-विदेश में फैले स्वजनों के संग मिलकर वर्षभर इस नये वर्ष की प्रतीक्षारत प्रभात वेला को सम्हालने, सहेजने की साधना का संदेश ही तो देता रहा है। विविध ऑनलाइन ध्यान-साधनाओं आदिनाद से लेकर चान्द्रायण, गीता संदेश, गुरुगीता, यज्ञ-अनुष्ठान आदि द्वारा जीवन के प्रत्येक पलों को साधने व जीवन की पात्रता बढ़ाने की साधना ही तो होती रही है। अब नव वर्ष आया, तो उसे सम्हालने का साहस भी दिखायें। जनवरी माह वर्ष का प्रभात है, जिसने अपने प्रभात को संभाल लिया, उसका दिन उमंग-खुशी से बीतेगा। जिसका दिन खुशहाल होगा, उसका मध्याह्न-संध्याबेला खुशी बरसाएगी, यही प्रसन्नता उसकी रात्रि में चैन लायेगी। गहरी नींद देगी। गहरी नींद पुनः उसको प्रभात की ताजगी प्रदान करेगी। इस तरह एक-एक दिन उल्लासमय बीतेगा, महीना उल्लास-उमंगमय व्यतीत होगा, तो पूरा वर्ष ठीक और वर्ष ठीक होने से जीवन तो सम्हलना ही है। अतः हम अपने 2021 को कुछ इसी तरह साधें।

जैसे बूंद-बूंद से सागर बनता है। वैसे दिन के हर क्षण में एक नयी जिन्दगी समाई होती है। जैसे सूर्य की हर किरण में पूरा सूर्य होता है, ऐसे ही हर दिन में एक जीवन भरा है। इसलिए हमारे ट्टषियों का संदेश है कि जब दिन शुरू हो रहा हो, तो सोचें कि नए जीवन की शुरुआत हो रही है। इसीप्रकार रात्रि में सोते समय समझें एक जीवन की समाप्ति हो रही है। इस प्रकार पूरे वर्ष में तीन सौ पैंसठ बार उमंगों सहित जन्म लें, अर्थात् रोज जन्म लें, रोज मृत्यु की डुबकी लगायें, तो जीवन संवर उठेगा।
जिसे दिन और रात, जन्म और मरण याद है। संयोग-वियोग, पाना-खोना, लेना-देना, मान-अपमान, उ ति-अवनति, जीवन रूपी नदी के दोनों किनारों को जिसने गहराई से अनुभव कर लिया, उसे जीवन में निराश नहीं होना पड़ेगा। स्वेट मार्डन लिखते हैं कि ‘‘प्रत्येक दिन स्वयं व्यक्ति के लिए नए-नए उपहार लेकर आता है।
द्वार पर ठहरता है, अगर उसके स्वागत के लिए हम तैयार हैं, तो वह हमें उपहार प्रदान करता है। अन्यथा प्रतीक्षा करके निराश लौट जाता है।’’ अतः हम उसे निराश न होने दें, क्योंकि इससे हमारा जीवन निराश हो उठता है।

विगत 2020 में लोग मान बैठे कि जीवन में दुःख ही दुःख हैं, वह मंजर था ही ऐसा। उसे निराशाओं ने घेरा हुआ था, उसकी उषाबेलायें आलस्य से जरूर भरी थीं, पर अब हमें आशाओ से जोड़ने 2021 आ गया। यह नवजीवन 2021 विश्व के लिए आशा का पैगाम, धीरज का पैगाम, नवीनता के साथ खड़े हो जाने का पैगाम है। हम विश्व जागृति मिशन के द्वारा आपके लिए इस वर्ष ऐसे कार्यक्रम बना भी रहे हैं। ऐसी योजनायें बना रहे हैं, जिनके सहारे अपने हर स्वजन के मन में आशाओं के साथ प्रवेश करके, उसे सौभाग्य से जोड़ सकें। उसी में उमंग, उल्लास, आशा, सुख-समृद्धि-वैभव से भर सकें। ईश्वर की कृपायें उसके जीवन में जोड़ी जा सकें। गुरु का रक्षा कवच हर क्षण उसका संरक्षण करे। गुरु आशीर्वाद-कृपा हर स्वजन के परिवार में प्रेम-स्नेह-अपनत्व भरे। इसके लिए हम हर दिन उस शुभ क्षण को पकड़कर अपनों के लिए इस देश-विश्व मानवता के लिए, पर्यावरण-संस्कृति को ऊर्जावान बनाने के लिए विशेष शुभाशीष से भरी शुभ साधना कर भी रहे हैं।’’

हमारी इस साधना का दूसरा लख्य है, ध्यान अवस्था में जाकर उन जागृत आत्माओं की तलाश करना, जिनमें जन्मों की दिव्य ऊर्जा दिव्य प्रारब्ध सुसुप्त अवस्था में भरा पड़ा है।’’ उसे जगाना और राष्ट्र-धर्म संस्कृति से उन्हें जोड़ना। जिससे विश्व की भावी मानवता तृप्त हो, विश्व ब्रह्माण्ड की आत्मा आहलादित हो और भारतीय ट्टषियों, पूर्वजों का आशीष बरसे और अपना भारत जगदगुरु बनने की शक्ति से भरे। भारत विश्व का नेतृत्व कर सके। बुजुर्गों के प्रति युवाओं में और युवाओं के प्रति उनके अभिभावकों में भी दिव्य प्यार जगाना भी हमारा उद्देश्य है। महिलाओं में जीवन के प्रति नयी सोच जग सके। जो भयभीत हैं, उनमें अभय के भाव भर सकें, जिनके जीवन में शुष्कता आ गयी हैं, उन्हें संवेदनाएं देकर भावनाशील बनाना भी इस वर्ष की साधना का हमारा लक्ष्य है। यह कार्य हम सबको मिलकर करना है। यह साधना अभियान ईश्वरत्व-देवत्व से सबको जोड़ेगा। नये वर्ष 2021 को सार्थक करेगा और हम सबको पूर्णता देगा।

इसी के साथ इस वर्ष व्यक्ति का मानस ऐसा बनाना है कि वह स्वयं भी दुःख से बाहर निकले और दूसरों को भी सुख भेंट करे। इस वर्ष का पैगाम-श्लोगन हैµ‘‘हम सब अपने जीवन को ऐसा बनायें, स्वयं भी सुखी रहें, दूसरों को भी सुख पहुंचायें।’’
हम सब जन्मों से इसी परमतत्त्व की खोज में ही तो हैं। उस परमतत्त्व का अंश होने के कारण मनुष्य जीवन का उद्देश्य भी यही है कि उस परमतत्त्व को प्राप्त करें। पर यह साधना द्वारा ही सम्भव होगा। गुरु कृपा से वह दृष्टि मिलेगी, जो हमें लक्ष्य तक पहुंचायेगी।

इसके लिए वर्ष 2021 को साधनामय अनुभूतियों से जोड़ें और जीवन की पहली आवश्यकता बनायें कि हर समय प्रभु के अस्तित्त्व का एहसास मन में बना रहे। मन में भाव उठे कि छोटा-सा बीज वृक्ष बनता है, वृक्ष से अनेक बीज उत्प होते हैं और यह क्रम लगातार चलता है। हर बूंद सागर बनने के लिए प्रयास करती है और सागर फिर अपने हिस्से (बूंद) को बूंद बना देता है। यह सब नवीनता ही तो है। जिसे अनन्तर चलाने वाली कोई चेतना है। असंख्य जीवों को जन्म देने वाला, सबको भोजन देने वाला कोई तो है। ऐसे भाव-एहसास मन में पैदा होने से ईश्वर के प्रति भाव विश्वास बढ़ेगा। वैसे भी इंसान के दिल की धड़कन में उसी की शक्ति तो है। संसार में गति, स्पंदन, परिवर्तन, सागर की लहरें उठना-सिमटना इन सबमें नित- नवीनताओं का ही तो प्रवाह है, यदि इन अहसासों के प्रति निरन्तर श्रद्धा बनाए रख सके, तो गुरु कृपा बरसेगी और ईश्वर का अस्तित्त्व, मनुष्य का परमात्म तत्त्व से जुड़ाव, सृष्टि की नव रचना, जीवन का कर्त्तव्य बोध, ऐसे हजारों पक्षों का ज्ञान स्वतः अंदर के ड्डोतों से खुल पड़ेगा। क्योंकि ईश्वर सृष्टि के कण-कण में व्यापक है। प्राणीमात्र के हृदय में परमात्मा की सत्ता विराजमान है। उसी की कृपा से वर्ष दर वर्ष बीतते जाते हैं। उसी के इशारे से पिछला वर्ष 2020 गया, 2021 आ गया। यदि हम इस अहसासपूर्व कृपा के प्रति अंदर अहसास नहीं जगा पाये, तो निश्चित ही नववर्ष व्यर्थ चला जायेगा। जीवन व्यर्थ चला जायेगा।

इस वर्ष से हमें अपनी उपासना में नवीनता लानी होगी। हमें परमात्मा से मागने की पद्धति में नवीनता लानी होगी। आज व्यक्ति भगवान से बुद्धि, बल ऐसा मांगता हैं, जिससे निर्बलों को सता सके, रूप ऐसा चाहता है, जिससे किसी को छल सके। इससे हमारा समय और हमारी चाहत दोनों जाया होती रहती है। हमें अपने को बदलना होगा। जरा सोचिये मनुष्य को साधना-गुरुकृपा ईश्वर प्रसाद से अवसर तो मिला था नया बनने का, जीवन में ताजगी प्रसन्नता, उल्लास, उमंग, नये संकल्पों से जुड़ने का, पर हम पुनः उसी कीचड़-दलदल, जीर्ण-शीर्ण
विचारों में फंसने लगे। ऐसे में हम जहां थे वहां ही खड़े रह गये।

जरूरत है जीवन से हमें सबक लेने की। नव एहसास करने की, नयी आदत बनाने की, नये संकल्पों से जुड़ने की, जिससे हमारे लिए आये ये नये क्षण, नये वर्ष में जीवन को बदल सके।
भगवान का आशीष भी उनको प्राप्त होता है, जिनका हृदय तरोताजा है, पवित्र है, कोमल है, सेवा से भरा है। कोरा कागज है। बच्चों के जैसी मासूमियत जिनके अन्दर है, भोलापन है, जो गुरु-ईश्वर के प्रति श्रद्धा से सरोकार रखते हैं। जो अपने मन को गांठों से मुक्त कर चुका है। इस दृष्टि से नयावर्ष ईश्वर का अपूर्व अनुदान है, आइये! सब मिलकर नवजीवन की साधना करें। जीवन को नवोल्लास से भर लें।

सन 2020 की बड़ी कठिनाइयों को पार कर आये 2021 के सूर्योदय को आइये! नयेभाव से, नव जीवन के लिए इसका स्वागत करने का अंदर से साहस जुटायें। जिससे परमात्मा का आशीर्वाद मिले, गुरु का रक्षा कवच मिल सके। जीवन नवीनता से भर सके। हम सबके जीवन को 2021 नवजीवन दे सके।

2 Comments

  1. Chandramohan pathak says:

    नूतन वर्ष का कोटि कंटि प्रणाम सगुरूदेव ।

  2. ताराचंद जांगिड़ says:

    हरीऔमजी जयगुरुदेव शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया जय हो सदगुरु देव महाराज जी भागयशाली महशुश कर रहे हैं औम गुरुवै नम

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