• इंसान उठे तो देवताओं से भी ऊपर जा सकता है, भगवत्ता को प्राप्त कर सकता है और गिरे तो पाताल की गहरायी भी कम पड जाये।
• इस लिए ऐसे दो राहे पे हम हैं जहाँ से रास्ता भगवान् की तरफ भी जाता है और राक्षस होने की तरफ भी जाता है।
• जिसको यह समझ आ गया और जीवन संभालना आ गया, उसको योगसत होना आ गया।
• अपने जीवन को दिव्ये बनाओ, कर्म करो मोहमुक्त होकर, और संतुलन बनाये रखना !
• अपने निज रूप में रहना सीखिए और फिर अपने परमात्मा से जुड़ सकोगे।
• हर व्यक्ति चाहता है की शरीर वेशक चला जाये लेकिन मेरा अस्तित्व मेरे बाद भी रहे
• भगवान् कृष्ण कहते हैं की तुम पहले भी थे, आज भी हो, आगे भी रहोगे बस बीच में शरीर बदलेगा, स्थान बदलेगा, स्थितियां बदलेंगी , नाम बदलेगा।
• हर जन्म में रिश्ते बदलेंगे, कुछ ख़ास लगेंगे और कुछ गैर होंगे। रिश्ते कागज़ों पे नहीं दिलों पे लिखे जाते हैं और इनको लिखने वाला परमात्मा है।
• अगर जीवन के बीच में कोई रिश्ता ठीक जुड़ गया तो 6०% ज़िन्दगी सफल हो जाएगी
• अपने रिश्तों की कदर करना सीखो और उनको सम्भालो.
• दूसरों को ठीक करने की नहीं, स्वयं को ठीक करने की चेष्टा करो.
• तुम्हारी ख़ुशी देखकर जिनको ख़ुशी नहीं होती, उनके लिए जरूर मुस्कुराया करो जो तुम्हें देखकर जलते हैं.!
• तरह तरह के जीव हैं दुनिया में लेकिन आपको अपने भीतर की शान्ति को तो स्थिर करना ही होगा।
• सफलता सफल लोगों के बीच बिठाती है और सफलता आपको मान दिलाती है।
• ज़िन्दगी में सभी चाहते हैं कुछ मनचाहा हो, ऐसा नहीं है. !आपको अनचाहे को मनचाहा बनाना आना चाहिए।
• कुछ चीज़ें ऐसी दी गयी हैं जीवन में जिनको लेकर आपको आनंदित होना है।
• सफलता असफलता में भी सम रहना है। संतुलन बनाना है, टूटने नहीं देना अपनेआप को!
• अभिमान कभी करना नहीं और स्वाभिमान कभी छोड़ना नहीं क्योंकि स्वाभिमान आपको कभी गिरने नहीं देगा और अभिमान करनेवाले को तो भगवान् भी नापसंद करते हैं।