नवधा शक्ति के जागरण का पर्व नवरात्रि | Sudhanshu ji Maharaj

नवधा शक्ति के जागरण का पर्व नवरात्रि | Sudhanshu ji Maharaj

Navratri, the festival of awakening of Navadha Shakti.

नवधाा शक्ति केजागरण का पर्व नवरात्रि नवरात्र में साधक माता दुर्गा की पूजा उपासना, आराधना, व्रत, नियम,जप-तप, यज्ञ-अनुष्ठान में लीन
होते हैं। मातृ शक्ति की यह उपासना जहां शारीरिक व आत्मिक शक्ति की वृद्धि करने वाली सिद्ध होती है। वहीं वाह्य दृष्टि से प्रकृति में शुभ सात्विक संदेश का प्रवाह भी जगता है। नवरात्रि साधना भारतीय संस्कृति में शक्ति- साधना के विशेष महत्व रूप में मनाया जाता है। साधक नौ दिन तक माँ जगदम्बा की उपासना द्वारा आंतरिक दृष्टि से शक्तिशाली बनने का प्रयास करते हैं।

नवरात्र में प्रायः लोग माता दुर्गा की शक्ति की पूजा उपासना, आराधना, व्रत, नियम, जप-तप, यज्ञ-अनुष्ठान में लीन होते हैं। मातृ शक्ति की यह उपासना जहां शारीरिक व आत्मिक शक्ति की वृद्धि करने वाली सिद्ध होती है। वहीं वाह्य दृष्टि से प्रकृति में शुभ सात्विक संदेश का प्रवाह भी जगता है। इन नौ दिनों मां भगवती के सामने दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत, पूजा ध्यान-आराधना से साधक आत्म व ज्ञानशक्ति का अर्जन करते हैं। नवरात्रियों में नव दिन तक मां भगवती के एक-एक स्वरूप का ध्यान करते हुए व्रत-उपवास पूजन अर्चन करना विशेष फलदायी माना जाता है। नौ रूपों की साधना के तहत क्रमशः ‘प्रथमं शैलपुत्री’ अर्थात् मां नवदुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री का पूजन होता है। प्रथम दिन हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में एक वर्ष की कन्या के पूजन से नौरात्रि का शुभारम्भ होता है। ‘द्वितीयं ब्रह्मचारिणी’ नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का
ध्यान करते हुए सच्चिदानन्द स्वरूप की प्राप्ति को महसूस किया जाता है। ‘तृतीयं चन्द्रघण्टेति’ नवरात्र के तीसरे दिन तीन वर्ष की कन्या में आनन्ददायी चन्द्र का ध्यान करते हुये व्रत-उपवास पूजन-अर्चन का विधान है। ‘कू ष्माण्डेति चतुर्थकम्’ नवरात्रें के चतुर्थ दिवस कूष्माण्डा का ध्यान व्रत-उपवास-पूजन-अर्चन करते हैं। ‘पंचमं स्कन्दमातेति’ नवरात्र के पांचवे दिन स्कन्दमाता अर्थात् कार्तिकेय की मां का ध्यान करते हुए पूजन करते हैं। ‘षष्ठं कात्यायनीति’ नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा कात्यायनी के स्वरूप का ध्यान करते हुये नवदुर्गा की पूजा-आराधना अत्यधिक लाभप्रद होती है। ‘सप्तमं कालरात्रीति’ सातवें दिवस कालरात्रि का दर्शन करते हुए श्रद्धाभाव से मां कालरात्रि के पूजन काविधान है।

‘महागौरीति अष्टमम्’ नवरात्र के आठवें दिन भगवती के महागौरी स्वरूप का पूजन करने का विधान है। ‘नवमं सिद्धिदात्री’ नवरात्र के नवें दिन नौ वर्ष की बालिका में सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली मोक्षस्वरूपा मां भगवती का ध्यान करते हुए व्रत-उपवास, अनुष्ठान की पूर्णता की प्रार्थना की जाती है। इस प्रकार नौ रूपों में माँ आदिशक्ति के पूजन-अर्चन से साधक के व्यक्तित्व को पूर्णता मिलती है। विसर्जन के साथ पर्व का समापन होता है। कहते हैं इस अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जीवन मार्ग में आने वाले कठिन से कठिन संकटों का विनाश करता है। गुरुचेतना में आदिशक्ति का ध्यान करने से साधक को लक्ष्मी, विद्या एवं साहस की प्राप्ति होती है। सरस्वती, लक्ष्मी, काली का वरदान मिलता है। इसीलिए नौरात्रि साधना को परमात्मा द्वारा प्रदत्त अनुपम आध्यात्मिक योग मानकर उसका समुचित लाभ लेना ही चाहिए। विश्व जागृति मिशन के लाखों साधक इस अवसर पर अपने सद्गुरु के आशीर्वाद के साथ अपनी गुरुमंत्र साधना में विविध अनुष्ठानों से उच्च प्रगति करते ही रहते हैं। इस बार गुरु निर्देशित साधना द्वारा आध्यात्मिक उपलब्धियों के साथ-साथ श्री समृद्धि, ऐश्वर्य, सुख-शांति का विशेष लाभ पाने का भी मार्ग प्रशस्त होगा।

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