हे सर्वव्यापक! सर्वशक्तिमान! सर्वज्ञ प्रभो! हे दिनातीदीनवत्सल! करुनानिधान! दयालु भगवान! हमारा वास्तविक मंगल और व्यापक कल्याण आपके सर्वव्यापी सुनहरे हाथों में ही संभव है। है अशरण शरण ! प्रकाश स्वरूप! प्राणप्रिय! आज हम सर्वात्मभाव से आपके सामने आत्मसमर्पण करते है। अब हम अपनी जीवन नौका को आपको समर्पित करते हैं। हमारा जीवन संग्राम आपकी ही अध्यक्षता में होगा और आपकी अध्यक्षता में किये गए संग्रामों में हमें अवश्य ही विजय मिलेगी। हे जीवनसार! हम आपकी शरण में है। हमारी रक्षा करें। हमे उबारें। हमे पाप-ताप से पार उतारें। एहि हमारी विनती है। इसे स्वीकार करें।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः