प्रार्थना!
हे सच्चिदानंद स्वरूप! हे अजर-अमर !हे नित्य पवित्र, शुद्ध बुद्ध मुक्तस्वभाव! संसार के कण कण में विराजनेवाले प्रभु! इस संसार मे सर्वत्र सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को संभाले हुए समस्त प्रकार के नियमों मनुष्यमात्र और प्राणिमात्र के लिए रचते हुए आप विराजमान हैं। आपके भक्त अलग-अलग रिश्तों में , अलग-अलग नामों से आपको पुकारते हैं। आप ऐसी महान शक्ति है जो इस संसार के घट-घट में समायी हुई हैं। भगवान! आप सबकी झोलियां भरिए। सबके घर परिवार में सुख शांति हो। सब सुखी हो निरोग हो, आनंदित हो, यही हमारी विनती है, इसे स्वीकार कीजिए।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः!
हरि ॐ जी!