प्रार्थना! | हे सच्चिदानंदस्वरूप! आलस्य व् प्रमाद हम पर कभी हावी न हो | Sudhnashu Ji Maharaj

प्रार्थना! | हे सच्चिदानंदस्वरूप! आलस्य व् प्रमाद हम पर कभी हावी न हो | Sudhnashu Ji Maharaj

आलस्य व् प्रमाद हम पर कभी हावी न हो

हे परमेश्वर!हे सच्चिदानंदस्वरूप! हम सभी आपके श्रीचरणों में कोटिश: नमन करते हैं।

हे मेरे प्यारे प्रभु! हे दयाओं के अनंत सागर!आप पल-प्रतिपल हम सब प्राणियों पर कृपा-वृष्टि कर रहे है।आप प्रेमपूर्ण होकर ही सृष्टि का निर्माण करते है और सृष्टि का संहार भी आपके प्रेमपूर्ण हाथो से ही होता है। प्राणिमात्र के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत होकर आप सृष्टि के नियमों की रचना करते है। जो प्राणी आपके नियमों के अनुकूल आचरण करता है उसकी झोली सुख और आनंद से सदा भरी रहती है। हे जगत के नियंता! हे जगदीश्वर! हम आपके कल्याणमय तेज स्वरुप का ध्यान धरते है और याचना करते है कि हमे ऐसी मानसिक सामर्थ्य प्रदान करें कि हम हमेशा आपके ही नियमों पर चलते रहें।आलस्य व् प्रमाद हम पर कभी हावी न हो। आपके कल्याणमय चरणों पर हमारी दृष्टि सदा लगी रहे। संसार के नियमों का पालन करते हुए हम आपकी प्रेम की डोर से हमेशा बंधे रहे। प्राणी मात्र से प्रेम कर सके ऐसी करुणा देना। हे मेरे प्यारे प्रभु!हमे दुःखो से,कष्टों से मुक्त करें किन्तु अपने प्रेम बंधन से हमे अलग न होने दे।
हे प्रभु! न जाने कितने जन्मों तक भटकने के बाद आपकी कृपा से यह मनुष्य जन्म मिला है। मोह ममता के कारण अनेक योनियों से गुजरना पड़ा है, अब वैराग्य जागृत कर दीजिये। हमें ऐसा ज्ञान और विवेक प्राप्त हो जिससे हम अपने कर्तव्यों को तो निभायें लेकिन मोह-ममता हमारे मन में जागृत न हो।
हे परमात्मन!अपनों के प्यार में पड़कर हम कोई गुनाह न करें। भले ही अपने संबधियों को ज्यादा सुख-सुविधाएँ न दे सके,पर अच्छे संस्कार और मर्यादा जरूर देकर जायें।
हे भगवन! ये दुनिया हमसे छूट जाये पर आपका धाम हमें प्राप्त हो जाये। इस जन्म में ही मुक्ति मिल जाये। यही हमारी आपके श्रीचरणों में प्रार्थना है,इसे स्वीकार करें।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिःॐ !
हरि ॐ जी !

1 Comment

  1. Neelam kumari says:

    Jai Guru dev ji sachidanand savrup thanks to you for Gita Amritma gayan….i am very greatful to u…for giving us such a great knowledge

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *