हे देवाधिदेव महादेव,शिव शंकर, हम सभी अबोध बालक-बालिकाएं आपको बारंबार प्रणाम करते हैं।
हे भोलेनाथ! काल की गति आपके अधीन है और आप स्वयं महाकाल हैं। हम सब आपके शिवस्वरूप का ध्यान करते हैं। आपके कल्याणमय स्वरुप का यजन करते हैं।
हम प्रार्थी होकर महामृत्युंजय मंत्र से आपकी प्रार्थना करते हैं। हे प्रभु !हमें दुःख, दर्द,क्लेशों से मुक्त कर अमृतमय आनंद प्रदान कीजिये।
हे आशुतोष! आप त्र्यम्बक अर्थात तीन नेत्रों से युक्त हैं! सत्यम,शिवम् और सुंदरम आपके त्रिकालिक नेत्र हैं।आप ज्ञान,कर्म और उपासना को धारण करने वाले हैं।
जीवन, मृत्यु और मुक्ति तीनों आपके ही वशीभूत हैं। आपके द्वारा ही जगत का कल्याण संभव होता है।
हे दीनदयाल प्यारे प्रभु!हम सदैव आपके ही नियमों पर चलते रहें।संसार के नियमों का पालन करते हुए,हम आपकी प्रेम डोर से हमेशा बंधे रहें।
हे प्यारेे प्रभु! हमें दुःखों से,कष्टों से मुक्त करें किंतु अपने प्रेम बंधन से हमें अलग न होने दें।
हे दीनानाथ!आपकी प्रेरक दया से, करुणामयी कृपा से लाभान्वित होकर हम भी कल्याण मार्ग के पथिक बनें, हमारी यह विनती आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिःॐ !
हरि ॐ जी !
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Sadguru ke charnome sashtang naman. Sunder Kalyan Kari manavi jivan ke hetu vichar prastut kiya Hai