गति को सद्गति बनाना अपने हाथ में है | आत्मचिंतन के सूत्र- 7 | Sudhanshu ji Maharaj

गति को सद्गति बनाना अपने हाथ में है | आत्मचिंतन के सूत्र- 7 | Sudhanshu ji Maharaj

गति को सद्गति बनाना अपने हाथ में है

इस धरती पर कोई विशेष उद्देश्य लेकर हम आते हैं। हमारे आने के साथ जाने की भी व्यवस्था भगवान ने कि है

*उसका जीवन कीमती है जो किसी महान उद्देश्य के साथ अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर जीवन जीता है। उसका धरती पर आना सार्थक कहा जाता है।
* जो दुनिया में करुणा, दया भाव से सद्भावना को बढ़ाने का काम करते हैं वह धर्मवीर कहे जाते हैं। उनको सद्गति मिलती है।
* जो अपने धन के माध्यम से दुनिया का अभाव दूर करने में अपना योगदान देते हैं, अपनी कमाई का कुछ हिस्सा समाज को अर्पित करते हैं, भले कार्य में लगाते हैं- वह दानवीर कहलाते हैं और उन्हें भी सद्गति प्राप्त होती है।
* जो कर्मयोद्धा अपने कार्य से युग में परिवर्तन लाते हैं, जिनके कार्य से समाज को प्रेरणा मिलती है उनकी भी गति महान होती है। वह कर्मवीर कहलाते हैं।
* अपने देश, समाज और मानवता की रक्षा के लिए जो वीर बलिदान देते हैं,जो अपने लिए नहीं सबके लिए जीते हैं, उनकी गति असाधारण होती है- वह वीरगति प्राप्त करते हैं।

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