चलते बहुत हैं पर पहुंचते कहीं नहीं! कोल्हू के बैल की तरह हम एक ही जगह बंधे हुए हैं, चलते चलते जीवन की सांझ हो गयी लेकिन वही समस्याएं और परेशानियां वहीं की वहीं हैं!
हमारी दिशा गड़बड़ है तो इसलिए दशा भी गड़बड़ है! मार्ग ऐसा हो जिससे तुम्हारा तो कल्याण हो लेकिन दूसरों का भी भला हो! जब व्यक्ति की श्रद्धा गुरु से जुड़ी हुई होती है तो ज़िन्दगी में कुछ न कुछ शुभ जरूर घटता है! गुरु में असाधारण श्रद्धा आपको नियमों में बांधती है और आपके अंदर गुरु की आवाज़ निरंतर आती है!
गुरु श्रद्धा वाला कभी भी गलत संगत में नहीं फंसेगा! धर्म का पौधा लगाने वाले बनो! तुम दिव्य चिंतन वाले बन जाओ! यह तभी होता है जब आप गुरु से जुड़े रहते हैं!
गुरु के आगे, परमात्मा के आगे माथा झुकाते हुए यह मांगो की बुद्धि सुबुद्धि रहे! जिस दिन आपके अंदर सकारात्मक परिवर्तन आएगा उस दिन आप कोल्हू के बैल वाले जीवन से आजाद हो सकोगे!
पूर्ण समर्पण से आपका मन बदल सकता है और दिव्यता हृदय में प्रवेश करती है! गुरुकृपा से आपके अंदर धर्म और विज्ञान की समत्वता आती है! अच्छी सोच के लिए हर दिन आपको अपने मन को शुद्ध करना चाहिए! सत्य के संग से यह संभव होता है!