प्यारे ईश्वर श्रद्धा भरा प्रणाम आपको। अपने बच्चों पर आप लगातार अनुग्रह करते हैं, आपकी कृपाएं लगातार हम सब पर बरसती हैं। हमें वो दिव्य दृष्टि दो कि आपकी लीला को आपकी महिमा को सर्वत्र देखें और आनंदित हों। संसार में आपके नियम जो सृष्टि का संचालन करते हैं उनको हम समझें। अपने गुरुजनों और आदर्शजनों के पद्चिन्हों पर चलते हुए जीवन को अच्छा बनाएं।
अनेक योनियों में भटकने के बाद यह मनुष्य की देह हमें मिली, और इसमें सत्संग में रुचि हुई, सद्गुरु की शरण मिली, नाम जपने का अधिकार मिला। जिव्हा पर नाम भी बस जाए, स्मरण करना आ जाए, आपके आसन में बैठना आ जाए, नाम जपने में रस आने लग जाए, सेवा करने की रुचि हो, देने का दिल बने हमारा, दाता वाला हृदय हो।
क्योंकि आप उसी हृदय में बसते हैं जिस हृदय में या तो भक्ति होती है, या पुण्य प्रताप होता है, सेवा भाव होता है। दया करुणा से युक्त जो होते हैं उन्हीं के हृदय में आप बसते हैं, उन पर अपनी कृपाएं सदा बसाते हैं। हे प्रभु हमें अपने योग्य बनाइए, हमारा हाथ पकड़िए, अपनी राह पर लेकर चलिए।
हमारी विनती को स्वीकार करना। अपने भक्तों का कल्याण करना प्रभु, आपके दर पर आया हुआ कोई भी भक्त खाली न जाए। यही विनती प्रार्थना है।
स्वीकार हो।