हे परमेश्वर दयालुदीन! हम सभी भक्तों का प्रणाम स्वीकार कीजिए! हमें आशीर्वाद दीजिए! हम सभी अपने जीवन में जितना भी आगे बढ़ना चाहते हैं, बाहर की बाधाओं से अधिक हमारे अंदर की बाधाएं हमको रोकती हैं। अंदर की बाधाएं जो गलत आदतें हमने सीख ली हैं! वही बाधा बनकर हमारी प्रगति को रोकती है। इसलिए प्रार्थना करते हैं! दुरितानी परासुव।
ये समस्त दुरित-दुर्गुण वो दोष वो बुरी आदतें जो हमारी प्रगति में बाधक बन गई हैं प्रभु उन्हें दूर करने के लिए हमें भी शक्ति प्रदान करो और आप भी कृपा करो कि हम उन्हें दूर करके स्वयं को शुद्ध कर सकें!
और हम पहचान सकें कि हमारे लिए संसार में शुभ क्या है, हमारा शुभ मार्ग क्या है, शुभ विचार क्या है, शुभ कर्म क्या है, शुभ आचरण क्या है, शुभ आदतें क्या है?
इन्हें हम पहचानें, इन्हें हम प्यार करें, इनका अभ्यास करें, इन्हें जीवन में धारण करें, और फिर ये हमारे जीवन में स्थिर हो जाएं। इसका आशीर्वाद हमें दीजिए!
अंदर के विकार निकल जाएं, शुद्ध गुण जीवन में आ जाएं यही एकमात्र वह प्रयोग है जो जीवन को ऊंचाई पर ले जाता है। इसका आशीर्वाद हम आपसे चाहते हैं। प्रभु हमें आशीर्वाद दीजिए!