आत्मचिंतन के सूत्र: सशक्त बनो और अपना उद्धार स्वयं करो! | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन के सूत्र: सशक्त बनो और अपना उद्धार स्वयं करो! | Sudhanshu Ji Maharaj

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सशक्त बनो और अपना उद्धार स्वयं करो!

आत्मचिंतन के सूत्र: सशक्त बनो और अपना उद्धार स्वयं करो!

एक सशक्त जीवन वह है जो अपनी सफलता के लिए सम्पूर्ण शक्ति, बुद्धि और युक्ति के बल पे जिया जाये! इसके लिए पूज्य महाराजश्री ने दिए हैं कुछ अनमोल सूत्र जिनको आप भी अपनाकर एक सशक्त जीवन जी सकते हैं!

अपने सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करना और अपनी इच्छाओं को पूरा करना जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।

जीवन में भोजन और तन पर वस्त्र रखने के लिए धन आवश्यक है। इस प्रकार सभी को धन कमाने में सक्षम होना चाहिए।

ऐ जर तू खुदा तो नहीं है लेकिन तू खुदा से कम भी नहीं है। धन चाहिए लेकिन कितना ?
आपके पास जितना अधिक हो उतना अच्छा है, इसकी कोई सीमा नहीं है लेकिन अगर अमीर बनने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य का त्याग कर देते हैं तो उचित नहीं।

असीमित धन देने से भी आप कभी अपने स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त नहीं कर सकते। पैसे देकर प्यार भरे रिश्ते नहीं कमाए जा सकते।

आपके बच्चे आपकी सबसे बड़ी दौलत हैं इसलिए उन्हें समृद्ध करें और उन्हें अच्छे गुणों और सकारात्मक विचारों से सशक्त करें।

धन कैसे कमाया जाए, उसे कैसे बनाए रखा जाए और उसका उपयोग कैसे किया जाए? सभी के लिए यह जानकारी भी आवश्यक है!

कुछ ने कहा कि जिनके पास अच्छे गुण नहीं हैं वे बेकार हैं। आपके सकारात्मक गुण आपको अद्वितीय और प्रसिद्ध बनाएंगे।

अपनी प्रतिभा को निखार कर स्वयं को काबिल बनाइये तब आप सभी के द्वारा पूजे/पहचाने जायेंगे।

संसार में प्रतिष्ठा सभी चाहते हैं लेकिन इसके लिए आपको पहले योग्य बनना होगा! यदि आप विशिष्ट रूप से योग्य हैं तो धनवान आपके पास आएंगे।
मांगने से कोई रुतबा नहीं मिलता!

अपने दिमाग को कभी बूढ़ा नहीं होने देना! केवल वे लोग जो दिमाग को विकसित नहीं करते और सीखना बंद कर देते हैं, उनका दिमाग आलसी होगा।

विश्वविद्यालयों में पारंपरिक रूप से स्नातक छात्रों को एक वैदिक मंत्र दिया जाता था जिसका अर्थ था: कभी भी सीखने में आलस्य न करें, हमेशा बड़प्पन के मार्ग पर चलें!

एक व्यक्ति को मजबूत होना चाहिए – रिश्तों की ताकत, ज्ञान की ताकत और शरीर की ताकत!

एकता में शक्ति है! एक और एक ग्यारह। साथ-साथ चलना सीखें, मिलकर सोचें और आप सभी का आशीर्वाद प्राप्त करने में सक्षम होंगे।

एक रेशे को जब अन्य रेशों के साथ बुना जाता है तो उसे एक डोरी में बनाया जा सकता है! अनेक डोरियां बुन कर एक रस्सा बनाया जा सकता है जो किसी भी शक्तिशाली वास्तु को खींच सकता है।

जीवन में जब भी मुसीबतें आएं, अपने शारीरिक साहस, मानसिक साहस और प्राणिक बल को इकट्ठा करें! प्रत्येक समस्या को दूर करने के लिएअपनी समस्त शक्ति और भक्ति के बल को इस्तेमाल करें ।

महाशिवरात्रि आप सभी के लिए कल्याणकारी रहे !
!ॐ नमः शिवाय!ॐ श्रीगुरवे नमः!

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