हे सच्चिदानंद स्वरुप पतित पावन जगदाधार जगदीश्वर हम सभी भक्तों का प्रणाम स्वीकार कीजिए यही विनती है ! इस पवित्र बेला में हम सभी श्रद्धा भाव से प्रणाम करते हुए आपकी समस्त कृपाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। अनंत-अनंत दया कृपा आपने की।
जीवन के इस मोड़ तक आपके सुरक्षित हाथों से सम्भलते हुए सुरक्षित रहते हुए जीवन को यहां तक लेकर आए हैं। भविष्य का डर हर किसी को होता है और भविष्य की आस भी सब किसी को होती है कि आने वाला समय अच्छा ही होगा।
जिस पर आपकी कृपा, आपकी करुणा, आपकी रहमत बरसती है निश्चित रुप से सम्भलता हुआ आगे बढ़ता जाता है। हे प्रभु हम अपना कर्म करते हैं, अपनी योग्यता के अनुसार जीवन जीते हैं। लेकिन हमारा कर्म हमारी योग्यता से बढ़कर आपकी कृपा ही सबकुछ है।
हम आपकी कृपा के सहारे आपकी दया के सहारे जीवन में पार लगना चाहते हैं।
अपना कर्म बुद्धिमत्ता पूर्वक अवश्य करेंगें, पर प्रभु अपनी कृपा हमेशा बनाए रखना! हमे सम्भाले रखना! हम अनेक बार अनेक स्थितियों में भटकते हैं। अस्त व्यस्त हो जाते हैं। गलतियां कर बैठते हैं।
आपकी कृपा आपकी करुणा हर पल चाहिए। आप ही तो संकट मोचन हैं और आप ही पतित पावन हैं! आप ही उद्धारक हैं और आप ही सबके आधार भी हैं। हे प्रभु, सदैव आपकी कृपा सब पर बनी रहे! यही विनती है इसे स्वीकार कीजिए!