गणपति भगवान के विशेष पूजन का समय आ गया है! हम सभी गणपति भगवान का आह्वाहन करते हैं और उन्हें अपने घर या मंदिर में स्थापित करते हैं! गणपति भगवान जो विघ्न विनाशक हैं! उनकी आराधना का इन दिनों विशेष महत्व है, घर घर मे, हर मंदिर में धूम मची होती है, उल्लास का पर्व है, सभी भगवान की प्रतिमा आदर सत्कार से लेकर आते हैं और विशेष पूजा विधि के साथ उन्हें स्थापित करते हैं!
नौ दिनों तक प्रतिदिन उनकी आराधना पूजा अर्चना की जाती है! मोदक या मिष्ठान्न का भोग लगाया जाता है, फूलों से चारो ओर सजे मंदिर दिखाई देते हैं! जितनी श्रद्धा भावना से सभी भक्तगण उनकी पूजा आराधना करते हैं, उतना ही फल उन्हें मिलता है! सुख समृद्धि बुद्धि के प्रदाता गणेश भगवान इन दिनों अपनी विशेष कृपाएं अपने भक्तो पर उण्डेलते हैं !
गणपति को प्रथम पूज्य स्थान क्यो मिला! क्योकि उन्होंने अपने माता पिता को इतना सम्मान दिया कि उन्ही की परिक्रमा करके कह दिया कि! मैंने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर ली है ,यह दर्शाता है कि हमे भी अपने माता पिता का इतना ही सम्मान करना चाहिए!
गणपति भगवान का पूजन सभी देवताओं के पूजन से पहले किया जाता है, अर्थात वह अग्रणीय है, गणपति की पूजा के बाद ही किसी शुभ कार्य का आरंभ या किसी अनुष्ठान का आरंभ किया जाता है।
गणपति भगवान विघ्न विनाशक हैं, सुबुद्धि के प्रदाता हैं! उनकी पूजा मंगल कार्यो में अवश्य की जाती है अर्थात किसी भी कार्य को निर्विघ्न पूरा करने की क्षमता उन्ही की कृपा से आती है!
गणपति भगवान के कान बड़े हैं! आंख छोटी और पेट बड़ा, यह सब प्रतीक इसलिए कि कान खुले रखो, दुनिया की निंदा चुगली से प्रभावित नही होना! आंख छोटी का अर्थकि संसार की ओर अपनी दृष्टि नही रखनी, करतार की ओर रखनी है!
पेट बड़ा – दर्शाता है कि दुनिया की बाते पेट मे रख लेना उन्हें सबके सामने प्रकट नही करना ! सभी को गणपति की कृपा प्राप्त करने का अधिक से अधिक प्रयास करना चाहिए : जाप करो, सिमरन करो,भक्ति करो!
इन दिनों को ओर भी मंगलमय बनाना है जब आप उन्हें अपने घर में स्थापित करते हैं – उनके आशीर्वाद सभी पर बरसते रहें, घर खुशियों से भरपूर रहे : इसी मंगलकामना के साथ मंगलमूर्ति को प्रेम भरा प्रणाम !