धर्मकोष एक ऐसा कोष है, जिसमें दानदाता एकबार में एक निश्चित राशि दान करेगा और उससे विश्व जागृति मिशन द्वारा नौ तरह की धर्मादा सेवायें निरन्तर संचालित रहेंगी।
धर्म कोष से संचालित होने वाले पुण्यमय सेवाकार्य
- अनाथ बच्चों की सेवा, संरक्षण एवं शिक्षण
- बाल विद्यालय – सूरत (गुजरात)
- ज्ञानदीप विद्यालय – झुग्गी झोंपड़ी से लेकर लावारिस कूड़ा कचरा बेचकर जीविका चलाने वाले अत्यन्त निर्धन दीन बालकों की शिक्षा हेतु तथा उन्हें कौशल विकास योजना में प्रशिक्षण देकर आत्म निर्भर बनाने की योजना।
- गुरुकुल – भारतीय संस्कृति संस्कार संस्कृत से लेकर प्राचीन लुप्त होती विद्या के पठन-पाठन के साथ आधुनिक शिक्षा में निस्णात करने वाली संस्था गुरुकुल द्वारा बालकों को विद्यादान तथा जीवन निर्माण का केन्द्र है यह प्रकल्प।
- गौशालाएं – सम्पूर्ण भारत में हम गौशालाएं संचालित करते हैं इन गऊवों का संरक्षण भक्तों के दान सहयोग से ही होता है।
- आदिवासी स्कूल झारखण्ड – समाज में सबसे पीछे खड़ा हुआ यदि कोई है तो ये आदिवासी अनाथ बालक हैं जहां मानव समाज का प्रेम व सहयोग कम पहुँच रहा है। इसी हेतु दो स्कूल रुक्का और खूंटी (रांची) झारखण्ड में संचालित हैं।
- करुणासिन्धु अस्पताल – आनन्दधाम आश्रम नई दिल्ली में लाखाें रोगियों तक अपनी सेवायें पहुँचाने वाला अस्पताल है करुणासिन्धु। जो 22 वर्षों से मानव सेवा में संलग्न है।
- भण्डारा सेवा – आनन्दधाम आश्रम में यह अन्न क्षेत्र भोजन सेवा भी वर्षों से चल रही है।
- वृद्धाश्रम – वृद्ध सेवा संरक्षण। वृद्धाश्रम की स्थापना वर्ष 1998 में की गई, 24 वर्षों से यह सेवा प्रकल्प असहाय वृद्धों की सेवा में सेवारत है। इस प्रकार की विश्व जागृति मिशन द्वारा संचालित अन्य अनेक सेवाओं के लिए यह अक्षय धर्मकोष स्थापित किया जा रहा है।
गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ में पंचरत्नों सहित पूजित एवं प्राण प्रतिष्ठित सुमेरु श्रीयंत्र।
गणेश-लक्ष्मी महायज्ञ में बनेंगे निःशुल्क ऑनलाइन संकल्पित यजमान।
आनन्दधाम आश्रम के कार्यक्रमों में भाग लेने एवं बैठने की विशेष व्यवस्था।
हर वर्ष मिशन द्वारा प्रकाशित डॉयरी या कैलेंडर।
वर्ष में एक बार महाराजश्री के साथ जूम मीटिंग।
वर्ष में एक बार निःशुल्क ऑनलाइन साधना।
जन्मदिन एवं विवाह वर्षगांठ पर महाराजश्री का ऑडियो संदेश।
धर्मकोष के सदस्य यह जानकारियां भेजें
1- नाम 2- पता 3- फोन, व्हाट्सऐप नम्बर, ई-मेल 4- पासपोर्ट फोटो – 2
5- वंशावली – दानदाता के पिता, दादा, परदादा एवं पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र के नाम
6- जन्म दिन एवं विवाह वर्षगांठ की तिथि
वास्तव में यह शरीर नश्वर है, जबकि इसी मानव शरीर से किये गये सत्कर्म, दान-पुण्य यशकीर्ति बनकर अमर हो जाते हैं। दुनिया में रहते हुए और यहां से जाने के बाद भी लोगों के दिलों में हमेशा मीठी याद बनाये रखने वाला यह धर्मकोष दान देने का ईश्वर द्वारा दिया सुनहरा अवसर है। आइये! अवसर का लाभ उठायें धर्मकोष में दिल खोलकर दान दें और पुण्य के भागीदार बनें।
-टीम
1 Comment
पूज्य महाराज जी को कोटि कोटि प्रणाम