मनुष्य अपनी आदतों के गुलाम होता है ,कोई भी आदत उसे इस तरह मजबूर कर देती है कि वह उससे मुक्त हो ही नही पाता : जब तक हम इस बेड़ी में जकड़े रहेंगे हम परतंत्र ही हैं!
आदत एक किरायेदार की तरह आती है और गिर मकान मालिक बन कर बैठ जाती है यानी उससे पीछा छुड़ाना असंभव हो जाता है !
इसलिए आवश्यक है कि हम कोई भी नई आदत का विश्लेषण करें कि कही यह हमारे दुख का कारण तो नही होगी , क्योकि शुरुआत में तो आप उससे मुक्त हो सकते हो पर यदि आदत पुरानी हो जाये तो उससे पीछा छुड़ाना असंभव ही हो जाता है!
मनुष्य के भाग्य के निर्माण में आदतों के ही सबसे अधिक महत्व है क्योंकि यदि आपकी वाणी आपके नियंत्रण में नही तो आप कुछ भी अनर्गल बोल देंगे और अपना सम्मान भी खो देंगे और आपके जीवन का अंतिम भाग दुखमय ही हो जायेगे !
इसलिए हर क्षण सतर्क, सावधान रहने की आवश्यकता है कि हम किसी गलत आदत के करीब तो नही जा रहे, रोज़ अपना विश्लेषण कीजिये आत्मचिंतन द्वारा !
एक अच्छी आदत को बनने में 21 दिन का समय लगता है जबकि खराब आदत को छोड़ने के लिए इससे डबल समय चाहिए यनि 42 दिन : लगातार का प्रयास आपको सफलता देगा!
सदगुरु की शरण मे , उनके चरणों मे बैठकर यह अभ्यास करना चाहिए कि हम अपने जीवन का नवनिर्माण कैसे करें , वह विद्या सिखाएंगे, विधि देंगे जो आपके व्यक्तित्व के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी !
अंत मे यही निवेदन की हमे इस मानव जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना है तो सतर्कता पूर्वक जीवन को जियें, अपनी बुरी आदतों से स्वयं को मुक्त करते हुए एक सुखद, आनंदित ओर प्रेमपूर्ण जीवन की ओर कदम बढ़ाएं- गुरु के आशीर्वाद ओर क्रपाएँ आपके लिये सहयोगी होंगी !
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