दोनों हाथ जोड़ लें और प्रेम पूर्वक आंखें बंद कर लें शांत हों! और अपने हृदय में अपने परमात्मा को आह्वान कीजिए कि इस हृदय मंदिर में प्रभु बसेरा करो और अपनी कृपा किरणों को यहां से प्रकाशित करो!
मेरा जीवन आपके प्रेम से शुभ-कर्म से प्रकाशित हो! और मैं इस संसार में प्रेम बांटने वाला करुणा सहानुभूति बांटने वाला बनूं! इस दुनिया के लिए सहयोगी बनूं! अपने किसी भी व्यवहार से और किसी भी कर्म से किसी की भी जिंदगी मुश्किल में न डालूं! दूसरों के जीवन को जीवन जीने में सहयोग प्रदान करना ही उपकार कहलाता है।
उस उपकार को करने की शक्ति और सामर्थ्य हमें प्राप्त हो! प्रभु हमें आशीष दीजिए, वो सुबुद्धि दीजिए कि हम भी अपनी समस्याओं का आसानी से समाधान ढूंढ सकें!
जीवन को आसान बना सकें! चुनौतियों का सामना करते हुए किसी भी तरह से चिंता और भय से युक्त न रहें! निश्चिंत निर्भय होकर जीवन को जी सकें!और आपके प्रेम के पात्र बनें! हर दिन शुभ दिन हो और हर कर्म हमारा शुभ-कर्म हो! मन में उठने वाले विचारों की तरंगें भी शुभ हों!
हमें शुभ मार्ग का पथिक बनाइए प्रभु हमारी प्रार्थना स्वीकार हो!