दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी! और आइए हम पहले परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए अपने लिए आशीर्वाद मांगे दयानिधान, कृपानिधान, सर्वशक्तिमान परमेश्वर हम सभी आपके चरण शरण में उपस्थित होकर आपके बालक बालिकाएं आपको श्रद्धा भरा प्रणाम अर्पित करते हैं!
प्रभु आपकी अनंत-अनंत कृपाएं हम सब के उपर निरंतर बरसती रहती हैं! हम अपने कर्मों के कारण अपनी गलतियों के कारण अपने जीवन में अनेक-अनेक कर्मों के प्रभाव को लेकर अपने भाग्य का ऐसा निर्माण कर लेते हैं कि हमारा भाग्य हमारे सामने अनेक प्रकार के दु:ख लेकर आ जाता है! और कभी-कभी हमारे द्वारा जब शुभ कार्य होते हैं, धर्म-कर्म होता है, पुण्य होते हैं!
जब हम आप परमेश्वर से जुड़ते हैं! गुरुजनों के चरणों में बैठते हैं! सत्संग करते हैं! सत्कर्मों को जीवन में अपनाते हैं तो हमारे जीवन में पुण्यों की वृद्धि होती है जिसका परिणाम होता है कि हमारा सौभाग्य सामने आता है और सौभाग्य एक शक्ति बन जाता है!
लेकिन जो हमारे जीवन में हमारे द्वारा किए गए गलत कर्म हैं! जो हमारी गलतियां हैं, जो हमारी भूलें हैं वो भी एक बहुत बड़े राक्षस और असुरों की तरह से हमारे जीवन को जो सुरक्षित जीवन होता है उसे खतरे में डालने के लिए बीमारियां पैदा करने के लिए, कर्जा सिर पर लाने के लिए परेशानियां खड़ी करने के लिए हमारे कर्म अपनों को ही हमारे से दूर करने के लिए और तरह-तरह के संताप और पीड़ा देने के लिए कर्म सामने आने लगते हैं!
ध्यान रखिए उन कर्मों की पीड़ा, उनका दबाव, उनका प्रभाव हमारे जीवन में आता बहुत है! लेकिन जब आपके साथ आपका पुण्य कर्म होता है, आपके ऊपर गुरु का आशीर्वाद होता है, आपके ऊपर प्रभु! की कृपा होती है! तो आपके चारो तरफ एक सुरक्षा कवच बन जाता है! और उस सुरक्षा कवच के कारण जब आपके चारो तरफ आ करके दुर्भाग्य चोट मार रहा होता है!
गिरते हो लगता है चोट लगी है लेकिन सुरक्षित होते हो फिर से बच जाते हो, फिर से खड़े हो जाते हो इसलिए हमें सभी को अपने जीवन में पुण्य कर्म करते हुए अपने निरंतर सुरक्षा कवच को मजबूत करते रहना चाहिए और परमेश्वर से प्रार्थना भी हम करते हैं!
हे परमेश्वर! जो पुण्य कर्म, सत्कर्म हमारी शक्ति बनते हैं उससे बढ़कर आपकी कृपा हमारे लिए शक्ति बनती है! अपना आशीष देना अपने बच्चों को संभाले रखना कितना भी परीक्षा का समय क्यों न हो! हम टूटे नहीं गिरे नहीं फिर से संभल जाएं हमारा कल्याण हो, हमारा उद्धार हो अपने चरणों में लगाना गुरुजनों के प्रति श्रद्धा रखना हमारे द्वारा श्रद्धा हमेशा बनी रहे!
हम आपके चरणों से लगातार प्रीति बनाए रखें यही विनती है प्रभु स्वीकार कीजिए