श्रद्धा भाव से दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी लोग बहुत ही प्रेम और शांति से अपनी आंखें बंद करें माथे पर शांति संतुलन को बनाइए और भीतर संतुष्टि आनंदित अनुभव करें कि परमात्मा की अनंत कृपा हमारे ऊपर है!
जो भी उपलब्धियां भगवान ने हमें दी हैं उससे संतुष्ट हैं आभार व्यक्त करते हैं प्रभु का और अपनी आंखों में वो प्रेम लेकर आइए जिसमें आप पूरे संसार के लिए कल्याण कामना करें!
हे प्रभु! सबका भला हो सब सुखी और आनंदित हों! चेहरे पर प्रसन्नता का भाव लाइए होठों पर मुस्कुराहट हृदय में अपने खुशी अनुभव करें! अपने शरीर के रोम रोम में प्रेम का अनुभव कीजिए आप बहुत प्रेम पूर्ण हैं और सबके लिए सुख समृद्धि और उन्नति की कामना करते हैं! मन-मन में भगवान का नाम उच्चारण कीजिए! अपने प्रभु का दर्शन कीजिए जिस तरह मंदिर में आप दर्शन करते हैं!
प्रभु! के स्वरुप को ध्यान में रखकर के उनका नाम जपन कीजिए और प्रार्थना कर लीजिए भगवान से की प्यारे ईश्वर आपके चरण शरण में उपस्थित होकर हम आपके बच्चें आपको प्रणाम करते हैं! अपने भविष्य को लेकर सभी लोग चिंतित होते हैं लेकिन जिस पर आपकी कृपा का हस्त है! आपके वर्ग हस्त के साथ निरंतर उन्नति प्रत्येक कृपा पात्र करता है!
हमारी भी प्रगति हो! हमें आशीष दीजिए कर्म योगी का जीवन जीएं जब तक संसार में हैं! कर्मठ बनकर रहें हमारे अंदर वो शौर्य वो वीरत्व दीजिए कि जिससे हम अनुचित को जीवन से हठा सकें और उचित को जीवन में ला सकें!
हमारे रिश्तों में अनंत-अनंत प्रेम हो! अपने रिश्तों को हम अच्छे से संबंधों को निभा सकें! और अपने संबंधों की परवाह करने वाले बने अपने समय का उचित रुप में प्रयोग करते हुए दिनों दिन हमारी प्रगति हो! गुरुजनों के चरणों में हमारी प्रीति बनी रहे हमारी श्रद्धा में कमी न हो! प्रभु! ये भी आशीष आपसे मांगते हैं! की हमारी आध्यात्मिक प्रगति बढ़ती रहे नाम जपने में रस आए और हर दिन जहां भौतिक उन्नति हम करें वहीं हमारी आध्यात्मिक उन्नति भी हो!
हमें आशीष दीजिए हम आपसे कृपा याचना करते हैं! फले-फूलें खुश रहें सुख समृद्धि से हम भरपूर रहें यही विनती है प्रभु आप स्वीकार कीजिए