दोनों हाथ जोड़कर और आंखें बंद करके प्यारे ईश्वर से निवेदन करें! कि प्रभु हमारी लगन आपके चरणों में लग जाए, हमारा मन आपके सिमरन में रस ले! हमारे हाथों के द्वारा सत्कर्म हो, और हमारे पग आपकी राह में चलें।
इस संसार में हमारा व्यक्तिगत और पारिवारिक उत्तरदायित्वों का जो जीवन है उसे भी अच्छें से निभा सकें। लेकिन जीवन की यात्रा एक छोटे से वृत्त में, एक छोटी सी सीमा में अटक कर और भटक कर रह जाए हम उससे भी पार जा सकें, स्वयं के लिए परिवार के लिए समाज के लिए लेकिन साथ-साथ हम अपने राष्ट्र के लिए और मानव मात्र के लिए भी जीवन जी सकें और अपनी प्रतिभा का प्रयोग कर सकें।
प्रत्येक दिन जीवन में आगे बढ़ने के लिए उन प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक की हमें आवश्यकता पड़ती है! जो हमारे भीतर पवित्र अग्नि को जगाए रखे और हमें सन्मार्ग के लिए प्रेरित करता रहे। वह शक्ति सद्गुरु है उस शक्ति से हम जुड़े रहें और उनके कुशल निर्देशन में अपने जीवन को धन्य करें! हे प्रभु हमें ये आशीर्वाद दीजिए, अपने पितरों का आशीर्वाद,
बड़ों का आशीर्वाद भी हमको लेना आए और अपने सद्गुरु के साथ हर दिन मन मस्तिष्क को जोड़कर के चलें ! जिससे ये जीवन पवित्र बना रहे! क्योंकि अपवित्रता तो चारों ओर फैली हुई है। अपवित्रता हमें अपवित्र करने के लिए लगातार अपना कार्य करती है! सत्कर्म करती है।
लेकिन पवित्र बने रहना, सशक्त बने रहना, समर्थ बने रहना, सक्षम बने रहना, और संतुलित बने रहने के लिए एक विशेष शक्ति की आवश्यकता है और वो सद्गुरु की ओर से होकर हम तक आती है। प्रभु हम पर ये कृपा करना के हम अपने सद्गुरु से भी जुड़े रहें और अपने कर्तव्य को पहचानें। आपकी भक्ति नियम पूर्वक कर सकें ऐसा अनुशासन जीवन में आ जाए, और नियमित जीवन को जी सकें।