हे दीनदयाल भगवान, कृपानिधान परमेश्वर भविष्य को आप ही जानते हैं! हम कोई नहीं जानते कि आने वाला कल कैसा होगा।
आने वाले कल में कितनी खुशियां, विश्वास हैं, कितने आसूं हैं, कितनी मुस्कान, कितनी पीड़ा, कितनी उन्नती है, कितनी अवनती है, कितना आगे बढ़ेंगें या पीछे जाएंगें, कितना जीवन है और कितना अवसर है हमारे पास।
यह सब आप जानते हैं। भविष्य के उपर आपने एक काला पर्दा डाला है। लेकिन आस लिख दी है, उस आस के सहारे जिंदगी जीता है मनुष्य।
वो आस की किरण हमें आगे लेकर जाती है।
पर भक्तों के पास आस से ज्यादा विश्वास होता है और विश्वास आपके प्रति है प्रभु। ये विश्वास की डोर और मजबूत हो, श्रृद्धा दृढ़ हो क्योंकि यही भक्ति के आसन पर बैठाती है। यही सतकर्म कराती है, यही भगवान आपके दर तक लेकर जाती है।
श्रृद्धा भक्ति का दान दीजिए। अपने नियम से जोड़िए और आपके प्रति ये भरोसा और दृढ़ हो, हर दिन हमारी भक्ति और आगे बढ़े। हर दिन हम अपने आपको और उपर उठा सकें। प्रेम पूर्ण जीवन जी सकें, करुणा से युक्त हो सकें। हमें समर्थ बनाइए भगवान, सक्षम बनाइए, कृपा कीजिए! यही विनती है स्वीकार हो!