हमारे देश में नवरात्रि की विशेष महत्ता है! यह वर्ष में दो बार आता है! एक चैत्र नवरात्रि जो नववर्ष के आगमन पर आते हैं ,दूसरा शारदीय नवरात्रि जो शरद ऋतु के प्रारंभ पर आते हैं ! दोनों ही नवरात्रि का विशेष महत्व है! यह पर्व बहुत ही उल्लास और उत्साह से सभी मनाते हैं!
जैसा कि नाम से ही विदित होता है! नवरात्रि अर्थात् नौ दिन और नौ रात्री पूजा आराधना का नियम -देवी माँ के नौ स्वरूपों की हम पूजा करते हैं , प्रत्येक दिन एक नये रूप में उनकी आराधना की जाती है !
यह पर्व शक्ति का पर्व है अर्थात् इन दिनों में दुर्गा माँ के स्वरूप की आराधना करते हुए अपने अंदर शक्ति जगायी जाती है :माना जाता है कि देवी माँ हमारे कल्मष को दूर करके हमे जाग्रत करे और अपनी शक्ति प्रदान करे!
सभी भक्तजन भाँति भाँति से देवी की पूजा करते हैं! मंदिरों में धूम मची होती है ,भजन कीर्तन ,मंत्रा पाठ तथा व्रत रखकर भिन्न विधियों से सभी अपने अपने प्रकार से माँ का आह्वाहन करते हैं , दुर्गा सप्तशती का पाठ भी श्रद्धापूर्वक किया जाता है! परंतु मुख्य बिंदु है भगवान से connect होना -जब तक उससे जुड़ेंगे नहिं, वो कर्मकांड सफल नहीं होते!
परंतु इसकी गहराई में जाकर विचार करें! तो समझ आता है! कि यह पर्व इंगित करता है! कि बुराइयों का नाश किया जाये और अच्छे गुण अपने अंदर भर लें ,यही भगवान की इच्छा होती है! व्रत ,पाठ,भजन ,संकीर्तन तो मात्र सहायक होते हैं परंतु वास्तविक शक्ति तो हमारे विचारों से आती है!
देखा जाये तो अपनी सोयी हुई शक्तियों को जागृत करके शक्ति यानी कुण्डलनीं शक्ति को शुद्ध करते हुए उसे सहस्रार चक्र तक ले जाना है जो हमारे मूलाधार में सोयी पड़ी है ,उसी से विचारो की उच्चता आती है -इसलिए इन दिनों का सदुपयोग अधिक से अधिक ध्यान करके किया जाये तो श्रेष्ठ है!
अखंड दीप घर में जलाकर रखे जो प्रत्येक है! कि यह अखंड श्रद्धा की ज्योति हमारे ह्रदय में स्थिर हो जाये ! हम ऊपर से ऊपर उठते जाये जैसे बाती की लपट ऊपर जा रही है!
शुद्ध ,सात्विक आहार ,शुद्ध दिनचर्या ,घर की शुद्धि ,वस्त्रों की शुद्धि और मन की शुद्धि -सभी पर ध्यान दिया जाता है क्योकि भगवान को शुद्धता सबसे अधिक पसंद है! व्यवहार में ,जीवन शैली में सबमें इन बातो का ध्यान रखा जाता है!
यदि हम सभी बिंदुओं पर विचार करेंगे और उनका पालन करेंगे तो शक्ति माँ अपनी कृपा अवश्य करेंगी! हमारा जीवन शुद्ध ,पवित्र ,सात्विक विचारों से भरपूर होते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति की और अग्रसर रहेगा! लक्ष्य है अपने अंदर के बुराइयों रूपी दानव का नाश करके एक सफल जीवन जी सके -कुछ कर सकें जिसके लिये हमे यह जीवन मिला है!