दोनों हाथ जोड़ लीजिए सभी! आंखें बंद कर लें और श्रद्धा भाव से भगवान को उनकी कृपाओं को ध्यान में रखकर प्रणाम कीजिए! भगवान के दयामय रूप को याद कीजिए। जगदंबा जगजननी मां परमेश्वरी को प्रणाम कीजिए। वह बिना कारण भी दया करता है, दयालु रूप को ध्यान में रखकर प्रणाम करें! उसके रक्षा कवच को याद कीजिए, जो हमें चारों ओर से सुरक्षित करते हुए संभालता है।
याद कीजिए! कि वो सबका चिकित्सक है! हमें बीमारियों से भी बचाने वाला और ठीक करने वाला वही तो है! गलतियां करके बीमार खुद को हम करते हैं। कृपा करके ठीक करना, संभालना फिर से खड़ा कर देना उसका काम है।
दुनिया हमारे मनोबल को तोड़ती है, हिम्मत को तोड़ती है, हमारे हृदय को तोड़ती है! भावनात्मक रूप से हम भीतर से टूटते हैं! मानसिक रूप से भी आघात लगते हैं। हमारे दिल पर भी जो मरहम लगाए और हमारे मन को भी जो संतुलित करे परमात्मा के उस प्यारे रूप को याद कीजिए और प्रणाम कीजिए।
याद कीजिए! भगवान के इस रूप को भी बुद्धि देता है! समझ देता है, निर्णय लेने की क्षमता देता है! हमारी योजनाओं में, हमारे कर्म में, हमारी व्यवस्था में, सब में जो हमें व्यवस्थित करे, ऐसे बुद्धिदाता समझदारी देने वाले भगवान को प्रणाम कीजिए। प्रणाम कीजिए भाग्य हमारा कुछ… और फिर भी वो हमें संभालकर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलता है।
परमात्मा के सौभाग्य दायक रूप को याद करके प्रणाम कीजिए! प्रणाम करें खड़े होने की हिम्मत देता है, आगे बढ़ने की हिम्मत देता है, डरों को जीतने की हिम्मत देता है, चिंताओं से ऊपर उठने की हिम्मत देता है, निराश मन को फिर से आशावान कर देता है। ऐसे प्यारे प्रेरक पिता परमात्मा को ध्यान में लाइए और फिर उन्हें प्रणाम कीजिए… भगवान के उस रूप को भी याद कीजिए कि जहां वो जगदंबा जगजननी मां परमेश्वरी के रूप में ममता और प्रेम देकर हमें पाले पोसे प्रेम दे, रिश्ते संभाले, हमें व्यवस्थित करे।
ऐसे जगदंबा जगजननी मां परमेश्वरी को प्रणाम कीजिए! आशीष मांगिए आने वाला समय हमारा और अच्छा हो, जीवन मान सम्मान से, समृद्धि से, साधनों से संपन्न रहे। मुस्कुराहट बनी रहे, हृदय में आनंद बना रहे, निश्चिंतता बनी रहे, चैन की नींद सोएं। आनंद से आनंदित होकर कर्म कर सकें। एक कर्मयोगी और आत्म निर्भर व्यक्ति का जीवन हम जी सकें और इस संसार से मुक्त होकर भगवान तक पहुंच सकें। भगवान से आशीर्वाद मांगिए।
Navratri , Sudhanshu ji maharaj