अपनी सुप्त शक्ति जागरण के सूत्र! | आत्मचिंतन | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

अपनी सुप्त शक्ति जागरण के सूत्र! | आत्मचिंतन | Atmachintan | Sudhanshu Ji Maharaj

आत्मचिंतन | Atmachintan

अपनी सुप्त शक्ति जागरण के सूत्र!

हम शक्ति का पुंज हैं परंतु इन्हें जाग्रतः करना आवश्यक है

मनुष्य की देह में अपार संभावनाएं हैं , भगवान ने अनंत शक्तियों का स्वामी बनाकर इस धरती पर भेजा है परंतु जब तक उन्हें जाग्रतः न किया जाए , वह सुप्त है !
नवरात्रि हमें जाग्रति का संदेश देती है , माँ दुर्गा के आठ हाथ है और वह हर हाथ मे कुछ धारण किये हुए है : यह संदेश मिलता है कि कर्मयोगी का जीवन जीना है ! माँ की सवारी सिंह है, साहस का प्रतीक, अपने जीवन को अदम्य साहस और शौर्य से भरपूर रखना है क्योंकि साहसी व्यकितत्व से ही निर्माण सम्भव है !

विभिन्न विधियों द्वारा अपनी शक्ति का जागरण करो : कभी तप द्वारा, तो कभी मंत्रजाप से तो कभी ध्यान की गहराइयों में डुबकी लगाकर!
जब तक कोई प्रेरक तत्व आपके जीवन मे नही होगा तब तक आप अपनी सुप्त शक्तियों को जागृत नहीं कर पाओगे! इस लिए किसी प्रेरकतत्व से जुडो! हनुमान जी एक गुफा में साहसहीन होकर बैठे थे परंतु जब उनके साहस और शौर्य को जगाया गया तब वह समुद्र भी लांघ गए और अपने गंतव्य तक पहुंच गए !

जो परमात्मा का अनमोल खज़ाना हमारे अंदर भरा पड़ा है, उसे पहचाने ओर उसका उपयोग करें !
इस दुनिया मे यूं ही अपने परिवार के इर्द गिर्द चक्कर लगाकर ओर अपनी कुछ इच्छाओं की पूर्ति करके अपना जीवन समाप्त नही करना : कुछ विशेष करो जिससे आपकी पहचान बन सके !

स्वयम को जागरूक, सतर्क, सावधान रखते हुए अपनी शक्तियों का प्रयोग करें,
वह कुछ करें जिसके लिए हमे मनुष्य का चोला मिला जो दुर्लभ प्राप्ति है : साहस, शौर्य और शक्ति से भरपूर हमारा जीवन हो: इसी के लिये हमें प्रयासरत रहना है! अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ: देवी मां के सब स्वरूपों को अपने अंदर धारण करना है! बस इसीसे आपकी अंदर की शक्तियां भी जागृत होंगी!

1 Comment

  1. If we follow guru, everything is possible. If not, nothing is possible. Om Guruve Namah

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *