ऊषर बुद्ध बनने पर ही आध्यात्मिक साफलता मिलती है | आत्मचिंतन के सूत्र

ऊषर बुद्ध बनने पर ही आध्यात्मिक साफलता मिलती है | आत्मचिंतन के सूत्र

आत्मचिंतन के सूत्र

ऊषर बुद्ध बनने पर ही आध्यात्मिक साफलता मिलती है

सदगुरु का संदेश कि यदि आप आध्यात्म के चरम शिखर को छूना चाहते हो तो प्रभात का उपयोग कीजिये!

सूर्य के उदय होने से पहले का समय जब ब्रह्मांड में अनेक दैविक शक्तियां अपना प्रभाव बिखेरती हैं, वह सबसे सात्विक समय है और भगवान की राह पर चलने वाले पथिक को इस समय का सबसे अधिक उपयोग करना चाहिए!

जब आकाश में तारागण विदाई ले रहे हों और सूर्य की लालिमा अभी धरती पर आने ही वाली है : वह समय सबसे अधिक पवित्र और प्रभावशाली होता है – सूर्य की इस लालिमा को उषा कहते हैं और इस उषा वेला में जो साधक उठकर प्रकृति के साथ अपनी लय जोड़ता है उसे ही उषारबुद्ध कहा जाता है!

प्रभात के इस समय मे सारी देव शक्तियां पृथ्वी पर विचरण करने आती हैं, जो अपनी जैसी कामना लेकर उनका आह्वाहन करता है – वही सब उसको प्राप्त हो जाताहै : सबसे पवित्र और प्रभावशाली समय पूरे दिन का यही होता है!

इसलिए अपने इस कीमती समय का उपयोग हमे सदगुरु की शरण मे बैठकर सीखना चाहिए : व्यायाम, प्राणायाम, योगासन, मंत्र शक्ति को जाग्रत करना और प्रभु के ध्यान में डूबना, यही सब कार्य इस ब्रह्म वेला में सबसे अधिक फलदायी होतेहैं !

जब पक्षी अपने घोंसले में चोंच निकाल कर बाहर उड़ान भरने की तैयारी कर रहे हों, मंद मंद शीतल पवन के झोंके आपके शरीर को गुदगुदा रहे हों, फूल मुस्कराने की स्थिति में है — बस वही वेला – प्रभु की वेला है । भगवान की निकटता प्राप्त करने की !

इसलिए इस समय को हाथ से ना जाने दें  व्यर्थ ना गंवाएँ  इसका आंनद लीजिये ओर अपना आसन संभालकर भगवान की राह पर चलने का संकल्प लीजिये – सदगुरु का आशीर्वाद लेकर ध्यान में बैठो, जाप करो, भगवान का दर दूरं नहीं !

1 Comment

  1. CaPt N k Singh says:

    I used to get up at 3 am daily. How I may utilize
    frOm 3 to 5am.

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