शरनागती हो तो कैसी ?
* सामान्य रूप से *2 तरह की शरणागति है – एक बिल्ली जैसी और दूसरी बंदरिया जैसी।
बिल्ली अपने दांतो से बच्चे को पकड़ती है और जहां ले जाना है उधर ले जाती है। बच्चे को वह बहुत कसके पकड़ती है लेकिन उसके दांत चुभते नहीं। बच्चे का भी मां पर विश्वास अद्भुत है – वह जैसे ले चले, जिधर रखें ,बच्चा खुश है। वह *बहुत निश्चेष्ट होकर अपने आपको मां के हवाले करता है।
दूसरी शरणागति है बंदरिया जैसी। बंदरिया का बच्चा बंदरिया को पकड़ता है। जहां भी बंदरिया जाए, वह पकड़ छोड़ता नहीं।
आप भी अगर अकल से भगवान को पकड़े, तो भगवान भी झटके देगा लेकिन उस समय भगवान को छोड़े नहीं – पकड़के रखना अपने आपको हवाली करना। अपनी अकल- अपना दिमाग व्यवस्था में लगाना- अगर मगर ना करना।
* ऐसे ही शरणागति के दो मार्ग हमारे भी है। बिल्ली बने कि भगवान आपको पकड़े- ऐसे निश्चेष्ट हो जाए- निश्चिंत हो जाए, बेफिक्र हो जाए और जहां भगवान लेकर जाए उसके साथ चले।
बंदरिया के मार्ग पर – अक्ल के साथ भगवान को पकड़ना है तो भी पूरा विश्वास हो- उसे छोड़ना नहीं तो भगवान पार ले जाएंगे। अपनी अकल ज्यादा लगाई तो मुश्किलें सामने आएगी।
4 Comments
Beautiful message respected guruji.charan Vandana.
जय गुरुदेव जी
नित नूतन संदेश व मार्गदर्शन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं कोटिशआभार । अक्सर ऐसा होता है कि विपरित परिस्थितियों में हम विचलित हो जाते हैं लगातार उसी का चिंतन मन में चलता है । लेकिन जब आपका मार्गदर्शन मिलता है तो मन निश्चित हो जाता है उस वक्त ऐसा लगता है मानो हमारे प्रश्नों का समाधान मिल गया । आप ईश्वर तुल्य हैं । आप इसी तरह हमें अपनी ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित करना गुरुवर !
मेरी हर सुबह सूर्य उदित होने से नहीं
अपितु आपके दीदार से होती है ।
Very nice inspiration gurudev we need it
Absolute Truth and simply mind blowing Truth….Gurudev, you and your Divine Knowledge is Supreme and the way you guide us all is even more mind blowing. Your intense affection for your disciples is so magnetizing. I wish to be nothing but a billi ka bacha, ur bacha….Naman Gurudev