प्रभात की इस पवित्र बेला में पिता परमेज्वर से हम प्रार्थना करें, हे दयालु, कृपालु सच्चिदानन्द स्वरूप परमेज्वर! चरण-जरण में उपस्थित होकर हम आपके बालक-बालिकाएं आपको प्रणाम करते हैं। आपके नियम, आपका प्रबंधान, आपकी सुन्दर सुव्यवस्था, आपकी दिव्य योजना के अनुसार ही पूरा-सारा संसार व्यवस्थित है, नियमित है आपके द्वारा अनुजासित है और किसी भी प्रकार की कोई भी त्रुटि, कोई भी न्यूनता, कोई भी कमी इस संसार में, आपके नियमों में कहीं भी नहीं हैं। आपके नियमों का उल्लंखन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति फि़र उसका परिणाम दुख के रूप में भोगता है। जैसे-जैसे हम प्रकृति के नियमों के अनुसार चलते हैं, जीवन में अधिाक-से-अधिाक सुख आता है, इसी को कहा जाता है नियम-पालन करना ही धार्म का पालन करना है। प्रकृति के धार्म का पालन करना, जीवन के धार्म का पालन करना, व्यवहार के धार्म का पालन करना, पारिवारिक धार्म का पालन करना, स्वयं के व्यक्तिगत जीवन का जो स्वधार्म है उसका पालन करना। इस धार्म के पालन करने से ही प्रभु आप सबको धान्य करते हैं। इसीलिये हम ये प्रार्थना करते हैं प्र्रभु! हम अपने निज धार्म को भी जानें, कर्त्तव्य धार्म को भी पहचानें। अपने लिये, अपनों के लिये जो कर्त्तव्य और धार्म है उसका पालन कर सकें। इस संसार में प्राणी मात्र के प्रति हमारा जो कर्त्तव्य और धार्म है, उसको हम निभा सकें। क्योंकि इसी से हम आपके प्रेम के पात्र बन सकते हैं और यही वह नियम हैं जिसके आधाार पर जीवन में सुख और शान्ति आती है। जब धार्म की रक्षा हम करते हैं तो धार्म हमारी रक्षा करता है। जब हम सुव्यवस्थित होते है तो परमेज्वर सुव्यवस्थित होते हुए आपकी कृपाएं हमारे जीवन में आने लगती हैं। प्रभु आशीष दो, नियमित हों, अनुजासित हों, योजनाबद्ध तरीके से जीवन को चलाएं और अच्छी आदतों के साथ अच्छा जीवन बना सकें। यह वर्ष हम सब के लिये मंगलमय हो। हम सबके लिये इस वर्ष में कुछ नये और अच्छे अवसर हैं उनका हम लाभ ले सकें। हे प्रभु! प्रार्थना को स्वीकार कीजिये।