आप वैसी ही भावनाएँ आकर्षित करते हैं जैसी आप दूसरों के प्रति प्रकट करते हैं! यदि आप घृणा से देखते हो, तो आपको घृणा मिलेगी! जब आप प्यार फैलाएंगे तो आपको प्यार मिलेगा! अपने मन को शांत करें और ईश्वर से जुड़ें!
कुछ लोग शिकायत करते हैं कि जीवन में दुख, तनाव और विषाद है! लेकिन याद रखिये कि हम स्वयं अपने जीवन में दुख और तनाव के लिए जिम्मेदार हैं।
हमारे मूल, हमारे केंद्र में कुछ समस्या है जिसे ठीक करना होगा।जब आप उससे प्रार्थना करेंगे तो आपको परमेश्वर की कृपा प्राप्त होगी और भीतर परिवर्तन आएगा!
आपको वैसी ही तरंगें प्राप्त होंगी जैसी आप ब्रह्मांड में उत्सर्जित करते हैं! चाहे कुछ भी हो और कब भी हो लेकिन हमें अपने कर्मों के बीज की फसल काटनी ही पड़ती है!
दुख की फसल हमें स्वयं काटनी है, न कि अपने माता-पिता या भाई-बहनों को। वे केवल हमारा समर्थन करने और कठिन समय में हमारी मदद करने के लिए मौजूद रहेंगे। लेकिन हमें अपने कर्मफल स्वयं भोगने होंगे!
साधना पथ पर चलने वालों के लिए जीवन ऐसा हो कि पुण्य की खेती हो; हम हमेशा दूसरों का भला करें, दूसरों की मदद करें; हमारा हृदय निर्मल हो! ऐसी ऊर्जा रश्मियाँ भेजें की आप जिस किसी से भी मिलें उससे प्यार से बात करें, सबके लिए अच्छा सोचें, सबके प्रति दयालु बनें!
नेकी करके आप अपने आप के लिए अच्छा कर रहे हैं, आप गुणों का खजाना इकट्ठा कर रहे हैं। यह आध्यात्मिक धन आपके साथ बहुत आगे जाता है। अगर हम स्वार्थी तरीके अपनाते हैं, छोटे-छोटे शॉर्टकट अपनाते हैं और दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो हम आगे नहीं बढ़ रहे हैं बल्कि हम अपने लिए कांटे बो रहे हैं।
आपको अभ्यास करना होगा कि आपका मन शुद्ध है, शरीर शुद्ध है, बुद्धि आध्यात्मिक है! अच्छे वाइब्स भेजें; ऐसा करने से दूसरा व्यक्ति भी आपको स्वीकार करेगा और सकारात्मक भावनाओं का प्रतिदान करेगा! दुनिया के पीछे नहीं दुनिया के मालिक के पीछे भागो! जब परमपिता परमात्मा इतना प्रेममय और आनंदमय है, तो ईश्वर से प्रेम मांगो, ईश्वर से आनंद मांगो।
जब आप कहते हैं कृपा करो मेरे भोलेनाथ! वे एक प्रेमपूर्ण हृदय से उत्तर देते हैं और आप पर अनंत दिव्य कृपा बरसाते हैं लेकिन पहले आपको अपने जीवन की वीणा को ठीक करना होगा, अपने अंदर से दिव्य तरंगे उत्पन करनी होंगी जो आपके परमात्मा को मोहित कर दें! जो लोग नियमित रूप से ध्यान करते हैं!
भगवान के नाम का जप करते हैं, वे भगवान के सूक्ष्म संकेतों को समझते हैं! अपने मन को शांत करने का अभ्यास करो क्योंकि शांत मन में ही परमात्मा का वास होता है! सुबह सुबह भी आपके अंदर विचारों का जमघट लगा रहता है! आप इतने व्यस्त हैं की बाहर पक्षियों की चहक भी सुनाई नहीं दे रही है।